बंगाल में हिंदू सेफ नहीं, जान बचाने के लिए स्कूलों में छिपे परिवार, मुर्शिदाबाद हिंसा पर [ यशपाल सिंह तूफानी ] की कलम से
पश्चिम बंगाल में “राष्ट्रपति” शासन.... दंगों और हिंसा के चलते यदि “मणिपुर” में राष्ट्रपति शासन लग सकता था तो “पश्चिम बंगाल” में क्यों नहीं.. ❓ मणिपुर में सेना उतारा जा सकता है तो.... बंगाल में क्यों नहीं..❓ आश्चर्य की बात है कि कुछ दशक पहले तक जिस बंगाल में धार्मिक आबादी का रेशो 80/20 था अब 66/33 हो गया है। अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए ममता खुले आम खून बहा रही हैं....... ममता का रक्त पिपासु चरित्र भारतीय स्त्री की गरिमा को तार तार करने वाला है। यह सोचकर आश्चर्य होता है कि ममता कभी कांग्रेस में हुआ करती थीं और बंगाल के कम्युनिस्टों के साथ लोहा लिया करती थीं। इंदिरा गांधी की चौकड़ी में शामिल सिद्धार्थ शंकर राय का जैसे ही बंगाल में पतन हुआ , वामपंथियों का राज बंगाल में आ गया। ज्योतिर्बासु के नेतृत्व में वामपंथियों ने दशकों तक बंगाल पर राज किया। कम्युनिस्टों ने भी जुल्म कम नहीं ढाए। लम्बे राजपाट के कारण आधा बंगाल वामपंथी हो गया। तब वहां बीजेपी का नामोनिशान नहीं था यद्यपि जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामप्रसाद मुखर्जी बंगाल से ही थे। बंगाल में वामपंथ को समाप्त करते करते ममता कब बंगाली हिंदुओं की...